शाह रुख खान को अमेरिका में नेवार्क एअरपोर्ट पर रोक कर पूछताछ की गई. भारतीय फिल्मों के बादशाह को अमेरिकी आव्रजन विभाग के अधिकारियों ने दो घंटे बिठाये रखा और उनके सामान की जांच की. खास आदमी से आम बर्ताव उनको नहीं जांचा और उन्होंने कहा की उनके मुस्लिम नाम के कारण ही उनके साथ यह बर्ताव हुआ. शाह रुख खान को गुस्सा आया तो आया, भारत सरकार में मंत्री अम्बिका सोनी को और ज़्यादा गुस्सा आया और उन्होंने यहाँ तक कह डाला की भारत में आने वाले विशिष्ट अमेरिकी नागरिकों के साथ भी वही सुलूक किया जाना चाहिए, जो भारतीयों के साथ अमेरिका में हो रहा है. शाह रुख खान पहले व्यक्ति नहीं हैं जिनके साथ ऐसा हुआ है. पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के साथ एक अमेरिकी एयरलाइन के कर्मचारियों ने भारत में ही वह सब किया जो शाह रुख के साथ अमेरिका में हुआ. गेओर्गे फेर्नान्देस के तो जूते तक उतरवा कर फ्रिस्किंग की गई थी, अमेरिका में. अमेरिका ने हर बार कहा कि हम से भूल हो गई पर नियम तो नियम हैं और वह सब पर लागू होते हैं.
अम्बिका सोनी जो अमेरिकियों के साथ करना चाहती हैं वह उनके साथ पहले से होता रहा है. भारत में हॉलीवुड के कई विशिष्ट कलाकार आते हैं जिन्हें हर कस्टम अधिकारी नहीं पहचानता और उनके सामानों की जांच की जाती है. उन्होंने इसका बावेला कभी खडा नहीं किया, क्योंकि वहां इसे सामान्य प्रक्रिया का अंग माना जाता है. भारत में ख़ास लोगों को आम लोगों वाले नियम पालन करने की आदत नहीं है और वह विदेश में भी यह सुविधा चाहते हैं. यह सच है अमेरिका में लोगों की धार्मिक आधार पर प्रोफाइलिंग होती है और मुस्लिम नामों पर उनके कान खड़े हो जाते हैं. पर बदसलूकी शायद ही होती है और पंक्ति से अलग कर पूछ ताछ उतनी बुरी चीज़ नहीं जितनी यह प्रतीत होती है. इस से पंक्ति में पीछे के लोगों को आसानी होती है, वरना दो घंटे की पूछ ताछ में सब को दो घंटे इंतज़ार करना पड़ता. ९/११ के बाद अमेरिका अपनी सुरक्षा के बारे में अत्यंत सख्त है और इस गंभीरता का शिकार शाह रुख जैसे भारतियों या मुसलामानों को ही नहीं बनाना पड़ता. जिस किसी का नाम भी एलर्ट में आता है उन्हें पूछताछ से गुजरना पड़ता है.
अमेरिका के पूर्व उपराष्ट्रपति अल गोर हों या सेनेटर एडवर्ड केनेडी, इन सबको ऎसी परेशानी का सामना उठाना पड़ा है. उन्होंने अपने देश में ही उन के साथ हुए तथाकथित बदसलूकी पर शोर नहीं मचाया क्योंकि वह यह मानते हैं कि कानून सबके लिए बराबर है और यह सब उनकी सुरक्षा के लिए ही किया जा रहा है. अम्बिका सोनी जैसे वरिष्ठ मंत्री का आपा खो देना राजनयिक दृष्टि से बचपना है पर मानसिकता के हिसाब से देखें तो भारतीय नेताओं को कभी उन प्रक्रियाओं से गुजरना भी नहीं पड़ता, जिस से आम भारतीय रोजाना रु-बा-रु होते हैं. शायद इसीलिए उन्हें आम आदमी की परेशानियों का अंदाजा भी नहीं होता.
टोनी ब्लेयर जब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री थे तो उनके बेटे को उम्र से पहले शराब पीने के आरोप में पकडा गया था. ऎसी ग़लती करने पर वहां नियम है कि अभिभावक को थाने आना पड़ता है और थानेदार से अंतिम चेतावनी सुननी पड़ती है. प्रधानमंत्री और उनकी पत्नी पुलिस स्टेशन गए, उन्हें वहाँ तीस मिनट बिताना पड़ा और एक इंसपेक्टर ने उन्हें फाईनल वार्निंग दी. अब अपने देश में प्रधानमंत्री तो छोड़िये, किसी अदना विधायक पुत्र को भी अगर गिरफ्तार किया जाए तो थानेदार की शामत आ जाती है. लोकतंत्र में कानून सबके लिए बराबर होता है पर हमारे देश में कटु सत्य ये है कि कुछ ख़ास लोग कानून से ऊपर हैं. और जब उन्हें बाहर के देशों में पता चलता है कि आम कानून उनपर भी लागू है तो उन्हें गुस्सा आता है. कानून को शाह रुख खान और एक अदने खान में, किसी खान और जॉन में फर्क नहीं करना चाहिए. अमेरिका में मुस्लिम यात्रियों की प्रोफाइलिंग अशोभनीय है पर अम्बिका सोनी को इस पर आपत्ति नहीं. उन्हें शाह रुख खान की सुरक्षा जांच पर आपत्ति है. और अमेरिका को इस पर आपत्ति होना आपत्तिजनक नहीं.
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6 comments:
khoob kahi
आपसे पूर्ण सहमति है.
भाई साहब
हमारें यहां तो दो पन्ने वाले साप्ताहिक के ख़वरनवीस भी रूटीन चेकिंग के लिए रोके जाने पर गुस्सा हो जाते हैं। शाहरूख खान तो किंग खान हैं।
मुझे नहीं लगता की शाहरुख़ खान के साथ जो हुआ वो गलत है या फिर उनके मुस्लिम होने के कारण ही हुआ | मेरे साथ भी लगभग ऐसा २००५ (कंसास सिटी,अटलांटा) २००३ (न्यू यार्क) मैं हो चुका है | मैं तो मुसलमान नहीं हूँ, मैं किस अम्बिका सोनी या एचिदाम्बरम को पकडूँ | मेरी भी कोई सुनेगा क्या ?
शाहरुख़ पे हंशी आती है की किस तरह मुस्लिम कार्ड खेल रहे हैं |
इंडियन मीडिया .. वाह भाई वाह ... बिलकुल सेकुलर चाल
अम्बिका सोनी और चिदंबरम वोट बैंक के लिए तो आपने बिलकुल सही जवाब दिया | पर क्या करूँ हसी आ रही है |
ये शाहरुख ख़ान अपने आपको किंग कियू समजता है पता नही. ये कोई शिवाजी है या फिर महाराणा प्रताप ये इंडिया का कलाकार है जो उसे इंडिया के पब्लिक ने बनाया है. अमेरिका पब्लिक ने नही मूज़े नही लगता के अमरीका मे इंडियन पब्लिक के सिवा उसे कोई ठीक से कोई जानता होगा. अगर कोई अमरीका का सूपर स्टार इंडिया मे आए तो हमरे पोलीस क्या उन इंपोर्टेड कलाकारोको पहचान पाएगी. ये ख़ान ने अभी अपना घमेंड कम करना चाहिए.
तो अमेरिका के लिए पता लगाना बहुत बड़ी बात नही है.बदकिस्मती से मुस्लिम ही आतंकवादी है तो इस मे अमेरिका भारत या किसी भी देश का क्या कसूर.जब किसी भी देश को किसी से ख़तरा महसूस होता है तो वो उसको चेक कर सकता है. ठीक है आप नेक दिल इंसान है. पर हर कोई तो है नही ना. आपको इतना तो पता है ना गेहू के साथ घुन भी पीसती है. अगर आप जैसे नेक दिल इंसान कोशिश कर सकते है उन मुस्लिमो को सही राह पे लाने की और देश की प्रगती मे अपना योगदान देने की,जो अच्छी बात है.वरना आतंकवाद का अंत कैसा होता वो किसी से नही च्छूपा
शायद ये चेकिंग-चेकिंग का ही फ़र्क हे की अमेरिका मे वर्ल्ड ट्रेड सेंटर वाली आतंकवादी वारदात के बाद आतंकवादियो द्वारा पूरा ज़ोर लगाने के बाद भी अब तक कोई दूसरा ऐसा वाकया नही हुआ हे जबकि सुरक्षा के मामले मे हमारे देश की हालत open university जैसी हे जहा पर हर कोई रेजिस्ट्रेशन ले सकता हे मतलब देश के किसी भी हिस्से मे बेकोफ़ अपनी वारदात को अंजाम दे सकता हे ,और सुरक्षा के हालात सुधरेंगे कैसे जब हमारे जवानो को अपनी जान हथेली पर रखने की कीमत या बलिदान होने पर उनके परिवरो की कितनी आर्थिक सहायता हो
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